परिचय

आग्नेय [जन्म : 24 जनवरी 1935, सागर, मध्य प्रदेश | निधन : 26 अगस्त 2023, गुरुग्राम, हरियाणा] हिंदी के समादृत कवि-लेखक-संपादक हैं। शिक्षा : एम.ए. (इतिहास), एलएल. बी। ‘पहचान सीरीज़’ में प्रकाशित ‘अपने ही ख़िलाफ़’ और ‘मेरे बाद मेरा घर’, ‘लौटता हूँ उस तक’, ‘सिरहाने मीर के’, ‘सारा वृत्तान्त उसके लिए’ उनकी कविताओं की कुछ चर्चित पुस्तकें हैं। वह ‘साक्षात्कार’ सहित कई पत्र-पत्रिकाओं के संपादक रहे; जिनमें ‘सर्वहारा’, ‘जनयुग’, ‘समवेत’, ‘पहल’ के नाम शामिल हैं। वह आजीविका और सेवा के लिए कई शैक्षिक और प्रशासनिक पदों पर कार्यरत रहे। उन्होंने एक अनुवादक के रूप में भी उल्लेखनीय काम किया। ‘रक्त की वर्णमाला’ और ‘उत्खनन’ इस सिलसिले में उनकी स्मरणीय पुस्तकें हैं। संभावना प्रकाशन (हापुड़) से प्रकाशित ‘एक दिन का जीवन’ (कविताएँ, डायरी, नोटबुक) उनकी अंतिम प्रकाशित पुस्तक है। ‘पुश्किन सम्मान’ और ‘भवभूति अलंकरण’ सहित कुछ प्रतिष्ठित पुरस्कारों से समय-समय पर सम्मानित। ‘सदानीरा’ के संस्थापक-संपादक।

किताबें

अपने ही ख़िलाफ़

आग्नेय की प्रथम कविता-पुस्तिका। अशोक वाजपेयी द्वारा संपादित और प्रकाशित ‘पहचान’ सीरीज़ की चौथी पुस्तक के रूप में प्रकाशित। कवि के शब्दों में : ‘‘मेरी धूप : अकेलेपन की नहीं / मेरी शाम अंधकार की नहीं / मेरी डाल : उदासी की नहीं / मेरा पीला फूल : पतझर का नहीं।’’

मेरे बाद मेरा घर

आग्नेय का व्यवस्थित रूप से प्रकाशित प्रथम कविता-संग्रह—रामकृष्ण प्रकाशन (विदिशा, मध्य प्रदेश) से वर्ष 1995 में प्रकाशित। स्वयं में स्वाधीन यह कविता-संग्रह उनके लिए है जो किसी दीवार के समीप हैं और दरवाज़ा खुलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

लौटता हूँ उस तक

आग्नेय का दूसरा कविता-संग्रह—आधार प्रकाशन (पंचकूला, हरियाणा) से वर्ष 1997 में प्रकाशित। इस संग्रह की कविताओं में प्रेम बीस वर्ष से लेकर साठ वर्ष तक जिए गए जीवन का एक नितांत एकांतिक और निजी आख्यान लेकर उपस्थित है, लेकिन चालीस वर्षों की इस प्रेम-यात्रा का अंत जहाँ होने लगता है; वहीं उसका पुन: प्रारंभ भी है।

सिरहाने मीर के

आग्नेय का तीसरा कविता-संग्रह—वाणी प्रकाशन (नई दिल्ली) से वर्ष 2001 में प्रकाशित। भविष्य के कविता-पाठकों—सात्त्विक तथा प्रियमना को जो कविताएँ पढ़ेंगे—समर्पित। अरुण कमल के शब्दों में : ‘‘आग्नेय एक तपे हुए, अनुभवी, दार्शनिक कवि की भाँति जीवनसम्मत कविताओं की रचना करते हैं जो कि एक दुर्लभ उपलब्धि है।’’

भूल गए शब्द लिखना

आग्नेय का चौथा कविता-संग्रह—पहले पहल प्रकाशन (भोपाल) से वर्ष 2011 में प्रकाशित। अन्ना अख़्मातोवा की इन पंक्तियों के लिए : ‘‘नहीं, वह और कोई है जिसने झेला है—इस तरह का दुःख / मैं—मैं नहीं झेल सकती थी दुःख इस तरह।’’

सारा वृत्तान्त उसके लिए

आग्नेय का पाँचवा कविता-संग्रह—पहले पहल प्रकाशन (भोपाल) से वर्ष 2011 में प्रकाशित। एक शतक कविताओं से युक्त यह कविता-संग्रह जीवनसंगिनी को इन शब्दों के साथ समर्पित है : ‘‘मिलेगी वह कविताओं में / कविताओं की काया / होगी उसकी काया / शब्द होंगे उसके बोले हुए…’’

मानहानि

आग्नेय का छठवाँ कविता-संग्रह—पहले पहल प्रकाशन (भोपाल) से वर्ष 2014 में प्रकाशित। इस संग्रह में बाद में कवि ने कुछ और कविताएँ (अब तक अप्रकाशित) भी जोड़ीं और एक नई पांडुलिपि बनाई। निंदा और भर्त्सना के स्वर से युक्त इस कविता-संग्रह में साहित्यिक और सांस्कृतिक कदाचार के तमाम समकालीन रूप और कवि के शब्दों में उनका विरोध विन्यस्त है।

कोई हो जो देखे

आग्नेय का सातवाँ कविता-संग्रह—पहले पहल प्रकाशन (भोपाल) से वर्ष 2011 में प्रकाशित। यह संग्रह उसको समर्पित है जिसका नाम संसार की सब भाषाओं में है। ‘‘यातना का होता नहीं कोई अतीत / अवसाद का होता नहीं कोई संगीत / इच्छाओं के न होते पंख / प्रेम का नहीं होता कोई अंत / ऐसा होता होते नहीं मनुष्य…’’

एक दिन का जीवन

आग्नेय का आठवाँ और उनके जीवन-काल में आया अंतिम कविता-संग्रह। यह संग्रह संभावना प्रकाशन (हापुड़) से वर्ष 2022 में प्रकाशित हुआ। इन संग्रह में कविताओं के साथ-साथ कवि का गद्य भी शामिल है। कवि के शब्दों में : ‘‘अगर आपने अपनी रचनात्मकता के लिए यातना नहीं भुगती, उसका मुआवज़ा नहीं दिया, उसके लिए दंडित नहीं हुए, तो यह महसूस किया जा सकता है कि आपका सारा लेखन, आपकी सारी कला निष्फल और व्यर्थ रही।’’

आग्नेय-समग्र

कविताएँ
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गद्य
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अनुवाद
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संवाद